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Asmita Ka Sangharsh (Hindi) at Meripustak

Asmita Ka Sangharsh (Hindi) by Shahshi Tharoor, Vani Publications

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  • General Information  
    Author(s)Shahshi Tharoor
    PublisherVani Publications
    Edition1st Edition
    ISBN9789355181602
    Pages624
    BindingHardcover
    LanguageHindi
    Publish YearDecember 2022

    Description

    Vani Publications Asmita Ka Sangharsh (Hindi) by Shahshi Tharoor

    छह भागों में लिखी गयी यह पुस्तक राष्ट्रवाद, देशप्रेम, उदारवाद, लोकतन्त्र और मानवतावाद जैसे ऐतिहासिक और समकालीन विषयों के विस्तृत विश्लेषण के साथ आरम्भ होती है। इनमें से अधिकांश विचारों की उत्पत्ति अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी की अवधि में पश्चिम में हुई थी लेकिन बहुत जल्दी ही इन विचारों का विस्तार दुनिया के कोने-कोने में हो गया। इसी परिप्रेक्ष्य में गाँधी, नेहरू, टैगोर, अम्बेडकर, पटेल, आज़ाद आदि जैसे भारत के अग्रणी नेताओं के सजग वैचारिक मूल्यों का अन्वेषण करते हुए लेखक ने उपर्युक्त विचारों की व्याख्या करने का सफल प्रयास किया है। किन्तु दुर्भाग्यवश आज इन महान विचारों की मुठभेड़ हिन्दुत्व के सिद्धान्त का प्रतिपादन करने वाले सिद्धान्तकारों और सत्ता के शीर्ष पर आसीन, और 'हम बनाम वे' की बाँटने वाली राजनीति में आस्था रखने वाले उनके संकीर्णतावादी, विभाजनकारी और साम्प्रदायिक अनुगामियों के साथ हो रही है। आज का संघर्ष भारत के इन दो परस्पर विरोधी विचारों के बीच का द्वन्द्व है जिसे जातीय-धार्मिक राष्ट्रवाद बनाम नागरिक राष्ट्रवाद के द्वन्द्व के नाम से व्याख्यायित करना अधिक उपयुक्त होगा। आज भारत की आत्मा की लड़ाई पहले की बनिस्बत अधिक कठिन और दुर्जेय हो गयी है, और स्वतन्त्रता के बाद के वर्षों में भारत ने बहुलतावाद, धर्मनिरपेक्षता और समावेशी राष्ट्रीयता के जो विलक्षण विचार अर्जित किये थे, उन्हें स्थायी रूप से क्षति पहुँचाने के संकट निरन्तर मँडरा रहे हैं। आज संविधान पर आधिपत्य जमाया जा चुका है, स्वायत्तशासी संस्थाओं की स्वतन्त्रता को सायास समाप्त किया जा रहा है, मिथकीय इतिहास का निर्माण और प्रचार जारी है, विश्वविद्यालयों को शिकार बनाया जा रहा है।



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